कविता : तुम आते रहो हमेशा मेरे सपनों में

रश्मि डी जैन
 
चले जाने से किसी के..
रुकती नहीं ये दुनिया
चलती रहती है अबाध रूप से 
यूं ही घूमता रहेगा समय का पहिया  
मेरे रहने या न रहने से 
किसी को शायद फर्क न भी पड़े 
पर तुम मुझे भुला न सकोगे कभी
 
करते हो न उतना ही प्यार
जितना करते थे पहले
सिर्फ तुम्हीं से तो है मेरी दुनिया
मेरे ख्वाबों में आते रहो तुम हमेशा
ये हक सिर्फ तुम्हारा ही तो है 
 
मेरे सपनों की दुनिया के शहंशाह 
तुमसे दूर हूं मैं तो क्या  
सोचती हूं मैं हर पल सिर्फ तुम्हें 
देखती हूं ख्वाबों में सिर्फ तुम्हें 
सजाया है अपने सपनो में  
 
इसके लिए बस चाहती हूं 
सो जाना एक लंबी..गहरी नींद में   
जो कभी न खुले और तुम आते रहो
हमेशा मेरे सपनों में  
 
बसा लूं तुम्हें अपनी बंद पलकों में 
हमेशा-हमेशा के लिए
बना लूं तुम्हें अपना सदा के लिए
भले ही ख्वाबों में..मेरे राजकुमार
मुझ पर है तुम्हारा ही अधिकार
सिर्फ तुम्हारा...

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