बहुत झूठी होती हैं ये संस्कारी लड़कियां,
मत मानना इनकी बात अगर ये कहें कि
चश्मे का नम्बर बदल गया है
इसलिए आंखें सूजी हैं,
मत भरोसा करना कि
जब ये कहें कि रात को सो नहीं पाई
शायद इसलिए सूजी हो आंखें,
अनकही वो दास्तां उमड़ रही हैं इनकी आंखों में
जिन पर बंधा है स्वाभिमान का पूल ,
ये हरगिज नहीं तोड़ेंगी इसे
तुम्हें ही जाना होगा उस पार,
झांकना होगा थोड़ा आगे बढ़कर
पंजों के बल पर और
देखनी होगी इनके भीतर बहती नीले दुख की नीली नदी....
की आंखें क्यों सूजी हैं
ये झूठी लड़कियां
बहानों की पोटली बहा देंगी
पर नहीं लेने देंगी तुम्हें सच का आचमन,