हिन्दी कविता : तय होगा समय

उस दिन तय होगा समय 
जब पछाड़ खाता समुद्र 
एक दिन ठिठककर 
स्वाभिमान के नाम पर 
बाहर और भीतर के ऊहापोह में 
चुपके से भाप बन उड़ जाएगा। 


 
उस दिन तय होगा समय 
जब इठलाता बहकता बसंत 
एक दिन ठिठककर 
अस्मिता के नाम पर 
वन और नगर के ऊहापोह में 
चुपके से बिना संवरे सो जाएगा। 
 
उस दिन तय होगा समय 
जब शांत शीतल नदी 
एक दिन ठिठककर 
अनुभूति के नाम पर 
गांव और पहाड़ के ऊहापोह में 
चुपके से बहने की जिद छोड़ चुकेगी।
 
उस दिन तय होगा समय 
जब सभी मूल्यों का आटा
एक दिन ठिठककर 
भूख के नाम पर 
पेट और आत्मा के ऊहापोह में 
चुपके से गीला कर दिया जाएगा। 
 
उस दिन तय होगा समय 
जब सभी मूल्यांकन
एक दिन ठिठककर 
संभ्रांत बनने के नाम पर 
अभी और तभी के कील में 
चुपके से जोड़ दिया जाएगा। 
 
हां, उस दिन तय होगा 
हमारा समय।
 
- मोतीलाल
बिजली लोको शेड, बंडामुंडा 
राउरकेला : 770 032
 

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