हवा कीजिए अनबन की गर्द को
दिलों को मोहब्बत से महकाइए।
गिरतों पर हंसे तो गिरोगे तुम भी
याद कर अपना वजूद उनको भी उठाइए।
ना हो आप तैराक कोई ग़म की बात नहीं
डूबता है कोई गर एक तिनका तो बहाइए।
कर दिया है परेशां तुम्हें, उम्र की रफ्तार ने
छोड़ बड़प्पन को बेखौफ बचपन में लौट आइए।
फिर नसीब ना हो इंसा का किरदार हमें
भूल के यादें कसैली, प्यार की मिश्री खाइए।