पा न सका अब तक कोई ऊंचाई मोदी की।
छू न सका अब तक कोई परछाईं मोदी की।।1।।
उसकी कार्यशीलता की, उसके तप की, उस निष्ठा की।
देश के अंदर / बाहर दुश्मनों पर उसके निडर प्रहार की।।
मन की हर बात देश के सम्मुख रख देने की निष्कपट तत्परता की ,
देश के सेवा-यज्ञ में आहुति की जिसने निज जीवन की, परिवार की।
क्या हक़ है कलंकियों को जो परखें सच्चाई मोदी की।।4।।