नए साल पर कविता : नववर्ष आया आपके द्वार

- विजयकुमार सप्पाती

 
आया नव वर्ष, आया आपके द्वार
दे रहा है ये दस्तक बार-बार,
 
बीते बरस की बातों को, दे बिसार
लेकर आया है ये खुशियां और प्यार,
 
खुली बांहो से स्वागत कर, इसका यार
और मान अपने ईश्वर का आभार।
 
आओ कुछ नया संकल्प करें यार,
मिटाएं आपसी बैर, भेदभाव यार,
 
लोगों में बांटे, दोस्ती का उपहार,
और दिलों में भरे , बस प्यार ही प्यार।
 
अपने घर, समाज और देश से करे प्यार,
हम सब एक हैं ये दुनिया को बता दे यार,
 
कोई नया हुनर, आओ सीखें यार,
जमाने को बता दे, हम क्या हैं यार।
 
आप सबको है विजय का प्यारा सा नमस्कार
नववर्ष मंगलमय हो, यही शुभकामना है यार
 
आया नववर्ष आया आपके द्वार,
दे रहा है ये दस्तक, बार-बार। 

 

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