कविता : हिन्दी का अस्ति‍त्व खतरे में क्यों?

शंभूनाथ 
क्यों होता अपमान हिन्दी का, क्यों हिन्दी भाषी अपमानित है।
क्यों अंग्रेजी की अलख जगाते, क्यों इंग्लिश भाषी सम्मानित हैं ।। 

क्यों काम न करते अफसर हिन्दी में, क्यों अंग्रेजी में बतियाते हैं।
तौहीन करते हैं राष्ट्रभाषा की, क्यों हिन्दी को दूर भगाते हैं  ।। 
 

हिन्दी से सम्मान मिला है, हिन्दी से मिला है नाम। 
जब तक तन में सांस रहेगी, न लेंगे पूर्ण विराम ।।
 
सारी दुनिया में नाम हमारा, ले हिन्दी में लोग बुलाते हैं। 
हिन्दी जगत का राही हूं, सबको यही समझाते हैं  ।।
 
हिन्दी मेरी मात्र भाषा है, इसको दो सम्मान ।
जब तक तन में सांस रहेगी, न लेंगे पूर्ण विराम।।

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