वतन के लोगों वतन को, आतंक से बचा लो
आतंक के कहर को मिलकर वतन से निकालो
सोने की चिड़िया के वतन को फिर से सजा लो
संबंधों के बंधन कभी न टूटे, इन्हें मजबूत बना लो
आतंक का जहर कहीं फैल ना जाए वतन में
बंध न जाए कहीं वतन, गुलामी जंजीरों में
रोको इसे आतंक से बचालो, ओ मेरे देश के रखवालों
मेरे वतन के लोगों, जरा जागो देश संभालो
भाई चारे को तोड़ने आए बहुत, बने रहे एक चमन में
मनोबलों को टूटने से बचालो ,ओ मेरे देश के रखवालों
दिया तिरंगे को रंग शहीदों की कुर्बानी से वतन में
नाज है हमें, चूमते जमीं को सब लोग वतन में
बन प्रहरी आतंक से बचालो, ओ मेरे देश के रखवालों
मेरे वतन के लोगों जरा जागो देश संभालो