या वो सभी जिनके दिलों में तुम्हारा वास है,
धरती, आकाश, अग्नि, जल और वायु
इन पंचतत्वों से बनी दुनिया में
आज जिनका भी आवास है,
सच तो ये है तुम चले गए ये सिर्फ आभास है,
अब तो धरा के कण कण में तुम्हारा निवास है...
वो कभी नहीं मर सकता जिसने
परंपराओं को तोड़कर नव समाज रचा हो,
शान से जीया जीवन और जी भर जीकर मरा हो,