बेवफा हो तुम, बेवफा वो तो नहीं
चांदनी रातभर यूं ही रोती रही।
तुमसे मिलने की चाहत जो दिल में थी
दर्द बन आज गीतों में ढलने लगे।
चांदनी रातभर यूं ही रोती रही।
तुम मेरे गीतों की भाषा अगर समझ न सको
ये तुम्हारी है नाकामी हमारी तो नहीं
आंखों की हसरत जिंदगी भी तो तुम्हीं हो
ये एहसास न कर पाओ तो दर्द की खता तो नहीं
चांदनी रातभर यूं ही रोती रही।
यूं शिकवे-शिकायत का ये मौसम नहीं
फिर भी दिल ने कहा तो हम कहने लगे
तुम्हारा नाम लेकर हम मर भी जाएंगे
इस हकीकत में अब कोई गुंजाइश नहीं