हो रहा है हिन्दी स्मरण धीरे-धीरे,
चल रहा है हिन्दी मनन धीरे-धीरे।
मधु मुकुल नव चिर अभिलाषा।
विमल वाणी की मधुर ध्वनि है,
सिन्धु-सी विस्तृत और घनी है।
चढ़ रही है हिन्दी नयन धीरे-धीरे,
चल रहा है हिन्दी मनन धीरे-धीरे।
हिन्दी है गंगा ज्योतिर्जल कण,
हिन्दी मधु-सी प्रति पल प्रति क्षण।
हिन्दी है शीतल कोमल नूतन,
हिन्दी है भू पर सुगंधित सुमन।
आ रही है हिन्दी पवन धीरे-धीरे,