हिन्दी कविता : आंगन सजाता है...

द्वारे पर फूल होना,
घर-आंगन को सजाता है।


 
सुखिया हिलोरा लेती है, 
मन को हंसाता है। 
 
महक जाते हैं तन-मन, 
गमकती हैं दिशाएं। 
 
ख्वाब सच होने लगते, 
जाग जाती आशाएं। 
 
पथ पथिक बन करके फूल, 
राहों को दिखाता है। 
 
जब आते लोग मिलने के खातिर, 
स्वागत है करता हंस के। 
 
छोड़ता सुगंध अपनी जब, 
महकता है द्वार कस के। 
 
हमेशा सद्कर्मों पर भी, 
चलना भी सिखाता है। 

ऐसी और खबरें तुरंत पाने के लिए वेबदुनिया को फेसबुक https://www.facebook.com/webduniahindi पर लाइक और 
ट्विटर https://twitter.com/WebduniaHindi पर फॉलो करें। 

 
 

वेबदुनिया पर पढ़ें