मोदी के कर्मठ महाकाश के
टूट गए सितारे दो।
भारत के दो उज्ज्वल नक्षत्र,
कर्मक्षेत्र के उजियारे दो।।
भारत की कूटनीति की सुषमा,
आंतरिक राजनीति की अरुणाई।
मध्दिम हुई इन आकस्मिक झटकों से,
राजनीति की दुर्गंधी गलियों में,
सुखद बयार से, वर्षों के।।
सचमुच यह अपूरणीय क्षति है