वह अभिनव अभिमन्यु
गया जब व्यूह भेदने,
साहसभरा, निर्भीक, मनस्वी,
युद्ध विशारद।
गिरा दिया लघु मिग विमान से
बड़े यान को,
यान और दुश्मन दोनों ही,
नभ के युद्धक्षेत्र से हुए तत्काल नदारद।
तभी पीठ पीछे से हुआ वार दुश्मन का,
वह आहत हो गिरा भूमि पर वहीं यकायक।
दुश्मन की थी भूमि,
निश्चय हर कष्टोपमान से गुजरना ही था।
पर भारत के गौरव की रक्षा के हित में,
जो कुछ किया वीर ने