लघुकथा : एक आधुनिक आदमी

आलोक कुमार सातपुते 
वह तपती दुपहरी में कोट-टाई लगाकर घूमने निकला। घूमते-घूमते वह अपने एक परिचित के घर पर पहुंचा। वहां नाश्ता परोसे जाने पर उसने थोड़ा-सा ही खाया और बाकी का छोड़ दिया, जबकि उसे बड़ी ही तेज भूख लगी हुई थी।


चाय भी उसने आधी ही पी। फिर उसने पास ही रखे स्टूल पर से अंग्रेजी अखबार उठा लिया और मात्र पन्ने पलटकर उसे वहीं पर ज्यों का त्यों धर दिया। थोड़ी देर बाद कैसेट प्लेयर को देख उसने शास्त्रीय संगीत सुनने की फरमाईश की, और संगीत शुरू होने पर वह बाकायदा सर भी हिलाने लगा, साथ ही वह अपनी इन हरकतों पर उपस्थित लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिए कनखियों से देखने लगा। उनके भावहीन चेहरों को देखकर वह बड़ा ही निराश हुआ, इस पर वह खीझ उठा और वहां से उठकर वापस अपने घर आ गया । 
 
क्या आपको मालूम है कि वह आदमी कौन है ? शायद वह आदमी आपके पड़ोस में, या आपके घर में, या फिर शायद आप में ही रहता हो एक आधुनिक आदमी...।

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