अप्सराओं ने कहा- तुम मर गए हो। अब यदि तुम अपने पापों के बारे में सत्य कहोगे तो हम स्वर्ग ले जाएंगी। चोर ने सोचा- जब मर ही गए हैं तो सत्य बता देते हैं, लेकिन अचानक ही उसे महावीर का वह आधा वाक्य याद आ गया- 'यमदूतों और देवताओं की परछाई नहीं होती।'
तब उसने अप्सराओं की परछाई देखी। वह सजग हो गया और समझ गया। फिर उसने कहा- देवी! लाख याद करने पर भी मुझे कोई पाप याद नहीं आते। नरक में डालों या स्वर्ग में आपकी मर्जी। उस मंत्री की योजना असफल हो गई, वर्ना चोर को फांसी लगती।