सैनिक को जब घटना पता चली तो वह बहुत देर तक कुछ न बोल पाया और सिर्फ चंपा को देख आंसू बहाता रह गया। यह युद्ध भारत ही नहीं, वरन पूरे विश्व के लिए एक भयावह त्रासदी थी। न जाने कितने लोग युद्ध में मारे गए थे।
मुकुट बिहारी ने महायुद्ध की समाप्ति के बाद रिटायरमेंट ले लिया था। वे पूरा युद्ध अंत तक लड़ते रहे। वे बताते हैं कि जापान के सैनिक देश में जहां-तहां छापामार युद्ध की तरह लड़कर आतंक फैला रहे थे, लेकिन अमेरिका के एटम बम डालने के बाद युद्ध समाप्त हो गया। इस युद्ध के दौरान उन्होंने अपने कई साथी खो दिए थे जिनका उल्लेख करते ही उनके आंसू आ जाते थे।