भारत भर में चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू समाज में यह पर्व विशेष तौर पर केवल सुहागिन महिलाओं के लिए ही होता है। इस दिन भगवान शिव ने पार्वतीजी को तथा पार्वतीजी ने समस्त स्त्री-समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था। इस दिन सुहागिनें दोपहर तक व्रत रखती हैं। स्त्रियां नाच-गाकर, पूजा-पाठ कर हर्षोल्लास से यह त्योहार मनाती हैं। कुंआरी कन्याएं भी सुयोग्य वर पाने के लिए गणगौर माता का पूजन करेंगी।
यह गणगौर पर्व चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, इसे गौरी तृतीया भी कहते हैं। होली के दूसरे दिन (चैत्र कृष्ण प्रतिपदा) से जो कुमारी और विवाहित महिलाएं, नवविवाहिताएं प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं, वे चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती है।