कलयुग के अंत में क्या होगा, क्या कहती है भविष्य मालिका?

शुक्रवार, 16 जून 2023 (11:17 IST)
Kalyug ke ant me kya hoga : 500 वर्ष पहले संत अच्युतानंद दास ने अपनी योग शक्ति के बल पर भविष्य मालिका नाम एक किताब लिखी थी, जो आजकल बहुत चर्चा में है। ये ग्रंथ ओडिशा में जगन्नाथ पुरी के मठों, मंदिरों और महंतों के पास अलग-अलग रखे हुए हैं, लेकिन अच्युतानंद दास ने 318 पुस्तकें भविष्य के विषय पर लिखी है। इन पुस्तकों को अच्युतानंद मलिका के नाम से भी जाना जाता है। भविष्य मालिका के अनुसार धरती 3 चरणों से गुजर रही है। पहला कलयुग का अंत होगा, दूसरा महाविनाश होगा और तीसरा आएगा एक नया युग।
 
क्या होगा कलयुग के अंत में?
  1. मालिका के मुताबिक कलियुग के अंत में दुनियाभर में सनातन धर्म के प्रतीक चिन्ह मिलने लगेंगे। जल प्रलय और प्राकृतिक आपदा की वजह से कई पुराने गांव और शहर दोबारा दिखाई देने लगेंगे।
  2. भविष्य मालिका के अनुसार केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्र और अमरनाथ गुफा से भगवान के चले जाने और इन स्थलों के लुप्त हो जाने के संकेत भी दिए गए हैं। इन तीर्थों के लुप्त होने की भविष्यवाणी को एक महाविनाश के संकेत के रूप में भी बताया गया है। इनके लुप्त होने से कलयुग का अंत हो जाएगा।
  3. भविष्य मालिका के अनुसार अधर्म के बढ़ने और प्राकृतिक बदलावा के चलते कई देव स्थान लुप्त हो जाएंगे और कई लुप्त होने की स्थिति में पहुंच जाएंगे। इकका मुख्य कारण धरती का तापमान बढ़ने, प्राकृतिक बदलावा और अधर्म का राज रहेगा। तब महाविनाश और युद्ध प्रारंभ होगा। महाविनाश के बाद भगवान कल्कि अनंत माधन पुन: देव स्थानों की स्थापना करेंगे।
  4. भविष्य मालिका के अनुसार चौथा महायुद्ध या कहें कि धर्मयुद्ध धर्म और अधर्म के बीच होगा।
  5. कलयुग के अंत में जिन लोगों ने महाभारत के युद्ध में भाग नहीं लिया था वे सभी इस महायुग में भाग लेंगे और भगवान कल्कि का साथ देंगे।
  6. भविष्य मालिाक के अनुसार चौथा धर्मयुद्ध महाविनाश लाएगा। महाविनाश से पहले शिव की द्वारा किए गए इस धरती पर कुछ बदलाव देखे जाएंगे। जिसमें हमारे सामने प्राचीनकाल के चिन्ह या सतयुग से संबंधित कुछ अवशेष सामने आएंगे और वो मंदिर या धर्मस्थल जो बहुत प्राचीन है उनमें से कुछ विलुप्त हो जाएंगे।
 
शनि का गोचर मचाएगा तबाही : भविष्य मालिका के अनुसार जब शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे तब महाविनाश का प्रारंभ होगा। शनि ने 29 अप्रैल को ही कुंभ में प्रवेश किया है। फिर शनि वक्री होकर 12 जुलाई 2022 को मकर राशि में गोचर करेगा। इस दौरान महायुद्ध की नींव पड़ जाएगी। शनि उसके बाद जब 17 जनवरी 2023 को शनि पुन: कुंभ में आएंगे और 29 मार्च 2025 तक यहीं रहेंगे। इस दौरान तीसरे विश्‍वयुद्ध से महाविनाश का पहला चरण प्रारंभ होगा। उसके बाद 29 मार्च 2025 से 23 फरवरी 2028 तक शनि मार्गी और वक्री होकर मीन राशि में रहेंगे। तब जनता त्राहि-त्राहि करने लगेगी। फिर 23 फरवरी 2028 से 17 अप्रैल 2030 तक शनि मेष राशि में रहेंगे। इसी दौरान महाविनाश का दौर खत्म हो जाएगा और एक नए युग का प्रारंभ होगा।
 
डिस्क्लेमर : वायरल हो रही उपरोक्त भविष्यवाणियों का प्रमाण हम नहीं दे सकते और न ही इसकी पुष्टि कर सकते हैं। उनकी इन भविष्यवाणियों को कई लोग तोड़-मरोड़ कर भी पेश करते हैं और अपने तरीके से भी प्रचारित कर रहे हैं।
 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी