Hanuman jayanti In Hindi : वर्ष 2024 में राम के प्रिय भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव 23 अप्रैल, दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है। यह दिन श्री राम और हनुमान की उपासना करने वालों के लिए बेहद खास माना गया है। यहां जानते हैं कि हम चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्म उत्सव कैसे मनाएं? कैसे करें पूजन, जानें नियम के बारे में-
हनुमान पूजा के नियम-Rules of Hanuman Chalisa Paath :
• हनुमान पूजा में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजा स्थल की साफ सफाई अच्छे से कर लें।
• हनुमान पूजा एक पवित्र जगह पर बैठकर ही करना चाहिए। खासकर या तो आपके घर के पूजास्थल पर, मंदिर में, तीर्थ क्षेत्र में या पहले से नियुक्त साफ सफाई करके पवित्र की गई जगह पर।
• हनुमान पूजा को विशेष मुहूर्त में ही करें या सुबह और शाम को ही करें।
• हनुमान पूजा-पाठ के दौरान उपयोग किए गए फूल लाल रंग के रखें।
• हनुमान पूजा के पहले दीप प्रज्वलित जरूर करना चाहिए। दीपक में जो बाती लगाई जा रही है वह भी लाल सूत (धागे) की होनी चाहिए। किसी भी स्थल पर पूजा करने के पूर्व दीप जरूर प्रज्वलित करें। हनुमान पूजा के दौरान जो दीपक जला रहे हों उसमें चमेली का तेल या शुद्ध घी होना चाहिए।
• हनुमान जी पूजा के बाद आरती करें और फिर उन्हें गुड़ और चने का प्रसाद जरूर अर्पित करें। इसके आलावा चाहें तो केसरिया बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, चूरमा, मालपुआ या मलाई मिश्री का भोग लगाएं।
• हनुमान जी पूजा के दौरान सिर्फ एक वस्त्र पहनकर ही पूजा करें।
• हनुमान मूर्ति या चित्र को लकड़ी के पाठ पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें और खुद कुश के आसन पर बैठकर ही पूजा करें।
• प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें।
• हनुमान जी की मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें और आप खुद कुश के आसन पर बैठें।
• मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
• इसके बाद धूप, दीप प्रज्वलित करके पूजा प्रारंभ करें।
• हनुमानजी को घी का दीपक जलाएं।
• यदि मूर्ति का अभिषेक करना चाहते हैं तो कच्चा दूध, दही, घी और शहद यानी पंचामृत से उनका अभिषेक करें, फिर पूजा करें।
• फिर हनुमान जी को अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं, सिंदूर अर्पित करें, गंध, चंदन आदि लगाएं और फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
• अच्छे से पंचोपचार पूजा करने के बाद उन्हें नैवेद्य अर्पित करें। नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
• गुड़-चने का प्रसाद जरूर अर्पित करें।
• इसके आलावा केसरिया बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, चूरमा, मालपुआ या मलाई मिश्री का भोग लगाएं।
• यदि कोई मनोकामना है तो उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करके अपनी मनोकामना बोलें।
• अंत में हनुमानजी की आरती उतारें।
• आरती के पश्चात नैवेद्य को पुन: उन्हें अर्पित करें और अंत में उसे प्रसाद रूप में सभी को बांट दें।
बता दें कि हनुमान जयंती के अवसार पर हनुमान जी की शोभायात्रा निकाली जाती है। तथा इस अवसर पर लोग एक दूसरे को बधाइयां देकर हलुआ, गुड़ की रेवड़ी या बेसन के लड्डू प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं।
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