धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बारह मासों में सबसे श्रेष्ठ मास कार्तिक माह को माना गया है। इस दिन कार्तिकेय के पूजन का विशिष्ठ महत्व है। कहा जाता है कि कार्तिकेय को भगवान विष्णु द्वारा धर्म मार्ग को प्रबल करने की प्रेरणा दी गई है। कार्तिकेय ने इसी आधार पर धर्मशास्त्र में भगवान विष्णु के दामोदर अवतार तथा अर्द्घांगिनी राधा का विशेष उल्लेख किया है।
यह महीना भगवान कार्तिकेय द्वारा की गई साधना का माह माना जाता है। इस कारण ही इसका नाम कार्तिक महीना पड़ा। इस दिन वर्षभर में एक बार खुलने वाले भगवान कार्तिकेय मंदिर के पट खुलते हैं। मध्यप्रदेश के संभवतः इकलौते प्राचीन मंदिरों में से एक ग्वालियर के गंगा मंदिर, जीवाजीगंज में स्थित है।
जब शंकर-पार्वती कार्तिकेय को मनाने के लिए गए तो उन्होंने शंकर-पावती को शाप दे दिया कि जो स्त्री दर्शन करेंगी तो सात जन्म वह विधवा रहेंगी और पुरुष दर्शन करेंगे तो वे सात जन्म तक नरक को भोगेंगे। फिर शंकर-पार्वती ने आग्रह किया कि कोई ऐसा दिन हो, जब आपके दर्शन हो सकें।
इस मंदिर में गंगा, जमुना, सरस्वती, हनुमान, लक्ष्मी नारायण व भगवान कार्तिकेय आदि के मंदिर हैं। जिसमें भगवान कार्तिकेय का मंदिर वर्ष में एक बार कार्तिकेय पूर्णिमा को ही खुलता है। वहीं अन्य मंदिर प्रतिदिन खुलते हैं। कार्तिकेय पूर्णिमा पर सुबह अभिषेक के साथ दिन भर भजन-कीर्तन होता है, वहीं दूसरे दिन सुबह 4 बजे भोग लगाकर मंदिर के पट बंद किए जाते हैं, जो अगली कार्तिक पूर्णिमा पर खोले जाते है।