गायत्री जयंती ज्येष्ठ चन्द्र माह के समय शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनायी जाती है तथा यह सामान्यतः गंगा दशहरा के अगले दिन मनायी जाती है। इस मान से 6 जून 2025 को एकादशी रहेगी। गायत्री मंत्र को दुनिया का पहला मंत्र माना जाता है क्योंकि यह दुनिया की पहली पुस्तक ऋग्वेद का पहला मंत्र है। वेदों की कुल संख्या चार है और चारों वेदों में गायत्री मंत्र का उल्लेख किया गया है। इस मंत्र के ऋषि विश्वामित्र हैं और देवता सवितृ हैं।
गायत्री जयंती पर पूजा के शुभ मुहूर्त:
सुबह का मुहूर्त: 04:02 से 05:32 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:52 से दोपहर 12:48 के बीच।
शाम का मुहूर्त: 07:16 से 08:18 के बीच।
गायत्री मंत्र का महत्व: यह परमेश्वर की प्रार्थना का मंत्र होने के साथ ही यह सूर्य मंत्र भी है। इस मंत्र को जपने से शक्ति का संचार होता है। इसे वेदों का सार और सभी मंत्रों का महामंत्र माना जाता है। नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और कई अन्य लाभ मिलते हैं। गायत्री मंत्र व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे वह जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना धैर्यपूर्वक कर पाता है।