माघी पूर्णिमा कब है, क्या करें इस दिन

माघ माह की अमावस्या के साथ ही पूर्णिमा को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं कि इस माह में देवता भी धरती पर आकर प्रयाग के संगम में स्नान करते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को है। तीर्थराज प्रयागराज में हर साल माघ माह में माघ मेला लगता है। यहीं पर कल्पवास भी होता है।
 
पूर्णिमा आरम्भ : 4 फरवरी 2023 को 09:33:13 पीएम से प्रारंभ। 
 
समापन : 6 फरवरी 2023 को 00:01:37 पर पूर्णिमा समाप्त।
 
क्या दान करें : 
- माघ पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और पूजा करने का खास महत्व माना गया है। इस दिन पितरों का श्राद्ध का भी खासा महत्व है।
 
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। नदी नहीं है तो पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। 
- स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। अर्घ्य अर्पित करते वक्त उनका मंत्र बोलें।
 
- इसके बाद श्री हरि विष्णु की पूजा करें। उनकी षोडशोपचार नहीं तो दशोपचार या नहीं तो पंचोपचार पूजा करें।
 
- पंचोपचार यानी पांच प्रकार की सामग्री से उनकी पूजा करें। गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करने के बाद आरती उतारें।
 
- माघ माह में काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण भी करना चाहिए।
 
- इसके बाद मध्याह्न काल में किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें।
 
- दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान में देना चाहिए।
 
- इस दिन दान-दक्षिणा का बत्तीस गुना फल मिलता है। इसलिए इसे माघी पूर्णिमा के अलावा बत्तिसी पूर्णिमा भी कहते हैं। 

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