बच्चे का नाम रखने की है तैयारी तो जानें क्या है बच्चे के नामकरण संस्कार की सही विधि

Baby ke Namkaran ki vidhi

नामकरण के अर्थ को समझें तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है नाम और करण। संस्कृत में करण का अर्थ होता है बनाना या सृजन करना। हिंदु रीति में नामकरण का एक विशेष महत्व होता है। यह सोलह संस्कारों में से एक संस्कार है जिसे पूरी विधि से करना चाहिए।  नामकरण में नवजात के नाम रखने की प्रक्रिया को काफी संस्कार से किया जाता है। नाम रखने की इस प्रक्रिया की एक पूरी विधि होती है।ALSO READ: शिशु की नाजुक स्किन को लेकर पीढ़ियों से सुनी जा रही ये बातें मिथक हैं या सच्चाई

नामकरण संस्कार
हिंदू धर्म में शिशु के जन्म के ग्यारहवें या बारहवें दिन के बाद उसका नामकरण संस्कार किया जाता है। जिसमें शिशु का नाम रखा जाता है। इस अवसर पर परिवार के सभी सदस्य मौजूद होते हैं और बच्चे की जन्म राशि के प्रथम अक्षर के अनुसार या अपनी पसंद से नाम रखने की सलाह देते हैं। नामकरण संस्कार किसी शुभ दिन और मुहूर्त में किया जाता है।

कैसे करें नामकरण ?
नामकरण संस्कार में एक पूजा होती है, जिसमें माता-पिता बच्चे को गोद में लेकर बैठते हैं। घर के बाकी सदस्य भी इस संस्कार में शामिल होते हैं। पूजा करने के लिए पंडित बच्चे की राशि के अनुसार एक अक्षर बताते हैं। जिससे बच्चे के माता-पिता या अन्य सदस्यों को एक नाम रखना होता है। इस विधि के बाद बच्चे के माता-पिता चुने गए नाम को बच्चे के कान में धीरे से बोलते हैं। इसी तरह नामकरण संस्कार की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। उस दिन बच्चे का वही नाम हो जाता है और उस नाम से ही उस बच्चे की पहचान बनती है।

नाम का चुनाव कैसे करें
अपने बच्चे का नाम रखना वैसे तो हर पैरेंट्स का सपना होता है लेकिन ये कई बार काफी मुश्किल भी हो जाता है। बच्चे के लिए कौन सा नाम सही रहेगा और उस नाम का मतलब क्या रहेगा, इस पर अच्छे से विचार करना ज़रूरी है। आजकल लोग बच्चे के नाम के लिए इंटरनेट का सहारा लेते हैं। कुछ लोगों को पारंपरिक नाम पसंद होते हैं तो कुछ वैदिक नाम रखना पसंद करते हैं। हिन्दू पद्धति में वेदों और पुराणों से नाम चुनने का भी चलन है। पर सबसे ज़रूरी है नाम का अर्थ, जिससे उस नाम की सार्थकता होती है।   

 
ऐसे तलाशें बच्चों का नाम

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