रात-रातों को जागे होंगे,
दिनों में भी आराम न किया होगा।
थकित शरीर, दुःखित चरणों को,
राम प्रेम के आवेगों से,
संचित जल भी अंखियों से बहा होगा।
सूख गया होगा मुख, खो गई होगी सुध,
रामचरित का हर प्रसंग,
जीवन रस मन में उतरा होगा।
वही जीवन रस चौपाईयां बनकर,
आपकी कलम से बह निकला होगा।
मानस की स्वरचित पंक्तियों को,
आपने कई-कई बार पढ़ा होगा।
आज सब मगन मुग्ध हो जाते हैं पढ़कर,
आपका तो रोम-रोम खिला होगा।
पर आपको कुछ न मालूम होगा,
आपके इस महाग्रंथ की राम कहानी,
तो बस जानते होंगे श्री राम।
श्री गुसांई आपको शत-शत नमन,