सूर्य देव को अर्घ्य देने की सरल विधि

HIGHLIGHTS
 
• सूर्य को जल देने वाले लोटे में क्या-क्या सामग्री डालें।
• सूर्य को अर्घ्य देने का तरीका क्या है। 
• सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र। 
 
Surya Aradhana : धार्मिक पुराणों के अनुसार सूर्य को साक्षात् देवता कहा गया हैं, क्योंकि वे हमें प्रतिदिन प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं। उनके पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है। और अदिति के पुत्रों को आदित्य भी कहा गया है। सूर्य देवता का दिन रविवार माना गया है। इस दिन सूर्यदेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। 
 
साथ ही प्रतिदिन सूर्य का पूजन करने, उन्हें जल से अर्घ्य देने तथा सूर्य मंत्र का जाप करने का भी विशेष महत्व कहा गया हैं। हर रोज सूर्य उपासना से जीवन में लाभ मिलता है तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। मान्यतानुसार रोज सूर्य पूजन से जहां जीवन का अंधकार नष्ट होता हैं, वहीं जीवन प्रकाशमय होकर खुशियों से भर जाता है। 
 
आइए यहां जानते हैं सूर्यदेव को अर्घ्य देने की विशेष विधि के बारे में- 
 
सूर्यदेव को अर्घ्य देने की विधि : 
 
- प्रतिदिन सबसे पहले स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
 
- सफेद या पीले रंग वस्त्र धारण करें।
 
- एक तांबे के लोटे में जल भर कर उसमें मिश्री, कुमकुम, अक्षत, तिल तथा लाल रंग का पुष्प डालें।
 
- अब उदित होते सूर्य के समक्ष कुश का आसन लगाएं। 
 
- आसन पर खड़े होकर हाथों से तांबे के लोटे को पकड़ कर जल इस तरह चढ़ाएं कि सूर्य चढ़ाती जलधारा से हमें दिखाई दें।
 
- ध्यान रहे कि हमेशा सूर्य को जल का अर्घ्य धीरे-धीरे चढ़ाएं ताकि जलधारा आपके आसन पर आकर गिरे।
 
अर्घ्य देने का मंत्र : 
 
'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। 
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार बोलें) 
 
- तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें।
 
- अपने स्थान पर ही तीन बार घूमकर परिक्रमा करें। 
 
- अब आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।
 
इस तरह सरल विधि से सूर्यदेव को अर्घ्य देने मात्र से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर धन-धान्य, आयु, विद्या, वैभव, स्वास्थ्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश और सौभाग्य का वरदान देते हैं। 
 
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