Adi Purush : आजकल आदिपुरुष फिल्म चर्चा में है। प्रभु श्रीराम के जीवन पर आधारित इस मूवी के डायलॉग को लेकर विवाद भी है। कई लोग आदि पुरुष का अर्थ जानते होंगे और कई लोग नहीं भी जानते होंगे। हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में आदि पुरुष का क्या अर्थ है और कौन है आदि पुरुष? आओ जानते हैं इस संबंध में संक्षिप्त में।
आदि का अर्थ : आदि का अर्थ होता है प्रारंभ, प्रारंभिक, प्रथम, पहला, मूल। आति और अंत यानी प्रारंभ और समाप्त। आद्य का अर्थ भी वही होता है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कौन है आदि पुरुष?
जैसे प्रथम शंकराचार्य के नाम के आगे आदि लगाया जाता है अर्थात आदि शंकराचार्य या आद्य शंकराचार्य।
उसी तरह प्रथम पुरुष को आदि पुरष भी कहा जाता है। अब सवाल यह उठा है कि प्रथम पुरुष कौन है?
हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में प्रथम पुरुष 3 लोगों को माना जाता है- एक भगवान शिव, दूसरे ऋषभदेव और तीसरे स्वायंभुव मनु।
भगवान शिव को आदिश भी कहते हैं, ऋषिभनाथ को आदिनाथ भी कहते हैं और स्वायंभुव मनु को धरती का प्रथम पुरुष माना जाता है।
भगवान ब्रह्मा को भी आदिदेव कहते हैं।
माता दुर्गा को आद्य शक्ति और आदि शक्ति कहा जाता है।
भगवान श्रीराम को कहते हैं पुरुषोत्तम। अर्थात पुरुषों में जो सबसे उत्तम है।
भगवान श्रीराम ही सबसे पहले ऐसे आदि पुरुष थे जिन्होंने आदिवासियों के साथ मिलकर काम क्या।
सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है।
आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है। आदिश का अर्थ प्रारंभिक ईश।
आदिश्वर अर्थात सबसे पहला ईश्वर। जगदिश्वर या विश्वेश्वर- जगत या सारे विश्व का ईश्वर।
गुरुओं में सबसे प्रथम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय को माना जाता है।