रंग पर्व होली इस माह दिनांक 28 मार्च, दिन रविवार को है। शास्त्रानुसार होलिका दहन प्रतिवर्ष फ़ाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किया जाता है। आमजन के लिए होली रंग, हर्ष व उल्लास का त्योहार है। इस दिन लोग परस्पर बैर भाव एवं द्वेष को भूल कर पुन: प्रेम के रंग में रंग जाते हैं।
साधकों की दृष्टि से होली साधना के लिए एक महत्त्वपूर्ण अवसर होता है। होली की रात्रि साधकगण विशेष साधनाएं सम्पन्न कर लाभ प्राप्त करते हैं। होलिका दहन की रात्रि में किए गए अनुष्ठान से शीघ्र ही सिद्धियों की प्राप्ति होती है। हम वेबदुनिया के पाठकों के लिए ऐसे अनुष्ठान का उल्लेख कर रहे हैं जिनके होली के दिन करने से साधकगण लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
1. कामनापूर्ति के लिए अनुष्ठान-
यह प्रयोग साधक की मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति करने में सहायक होता है।
दिन- होलिका दहन वाले दिन/ 28 मार्च 2021
समय-प्रात:
स्थान-हनुमान मन्दिर
सामग्री-तिल या सरसों का तेल, फ़ूल वाली लौंग, 5 दीपक
अनुष्ठान- इस अनुष्ठान के लिए साधक किसी हनुमान मन्दिर में जाकर हनुमान जी के विग्रह के समक्ष 5 दीपक में तेल, लौंग व बाती डालकर प्रज्जवलित करें। दीप प्रज्जवलन के पश्चात् साधक निम्न मंत्र की 108 माला की संख्या में जप करें। इस जप-अनुष्ठान में मूंगे की माला प्रयुक्त करनी आवश्यक है। इस प्रयोग को पूर्ण श्रद्धाभाव व नियम से करने से साधक की मनोवांछित इच्छाओं की प्राप्ति की संभावना प्रबल होती है।
मंत्र- "ॐ सर्वतोभद्राय मनोवांछितं देहि ॐ फट्"
2. धनलाभ के लिए अनुष्ठान -
यह प्रयोग साधक के आर्थिक संकट को दूर धनागम कराने में सहायक होता है।
दिन- होलिका दहन वाली रात्रि / 28 मार्च 2021
समय-होलिका दहन के पश्चात्
स्थान-घर का पूजा स्थान
सामग्री-चौकी, गोमती चक्र, काले तिल, घी का पंचमुखा दीपक
अनुष्ठान- इस अनुष्ठान के लिए साधक स्नान के उपरान्त स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने घर के पूजा स्थान में बैठकर इस प्रयोग को सम्पन्न करें। सर्वप्रथम भगवान के विग्रह के समक्ष घी का पंचमुखा दीपक प्रज्जवलित करें, तत्पश्चात् चौकी पर काले तिल की 5 ढेरियां बनाकर उन पर एक-एक गोमती चक्र स्थापित करें। इस क्रिया के पश्चात् निम्न मंत्र की 108 माला की संख्या में जप करें। इस जप-अनुष्ठान में स्फटिक की माला प्रयुक्त करनी आवश्यक है। इस प्रयोग को पूर्ण श्रद्धाभाव व नियम से करने से साधक को आर्थिक संकटों से मुक्ति प्राप्त होकर उसे धन लाभ होने की संभावना प्रबल होती है।
मंत्र- "ॐ ह्रीं श्रीं धनं देहि ॐ फट्"
होलिका दहन मुहूर्त
शास्त्रानुसार होलिका भद्रा काल में किया जाना वर्जित है। भद्राकाल में होलिका दहन से राष्ट्र में अशान्ति व विद्रोह की संभावना प्रबल होती है। अत: होलिका दहन भद्रा रहित शुभ लग्न किया जाना श्रेयस्कर होता है। होलिका दहन के लिए निम्न समय का मुहूर्त्त सर्वश्रेष्ठ शुभ है।
सायंकाल-6:30 से 9:30
होलाष्टक
शास्त्रानुसार होलिका दहन से आठ दिवस पूर्व फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलाष्टक प्रारंभ हो जाते हैं। होलाष्टक में सभी शुभ कार्य एवं व्रतोद्यापन वर्जित रहते हैं। इस वर्ष होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल अष्टमी दिनांक 21 मार्च 2021, दिन रविवार से प्रारंभ हो गए हैं। होलाष्टक की अवधि में समस्त शुभ कार्यों का निषेध रहेगा।