होली पर जानिए, क्या है पूजन का सही तरीका

होलिका दहन होने के बाद होलिका में जिन वस्तुओं की आहुति दी जाती है, उनमें कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग है। सप्तधान्य हैं गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर।


 
होलिका दहन की प्रामाणिक पूजन विधि
 
होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है। इस पूजा को करते समय पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पूजा करने के लिए क्या सामग्री प्रयोग करना चाहिए- पढ़ें आगे.... 
 
 

एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि का प्रयोग करना चाहिए। इसके अति‍रिक्त नई फसल के धान्यों जैसे पके चने की बालियां व गेहूं की बालियां भी सामग्री के रूप में रखी जाती हैं।



इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल तथा अन्य ‍खिलौने रख दिए जाते हैं।
 
होलिका दहन मुहूर्त समय में जल, मौली, फूल, गुलाल तथा ढाल व खिलौनों की चार मालाएं अलग से घर से लाकर सु‍‍रक्षित रख ली जाती हैं।
 
4 मालाएं किन-किन के नाम की होती है, जानिए अगले पेज पर 
 

इनमें से एक माला पितरों के नाम की,
दूसरी हनुमानजी के नाम की,
तीसरी शीतलामाता के नाम की तथा
चौथी अपने घर-परिवार के नाम की होती है।

 

 

 
कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना होता है। फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुओं को एक-एक करके होलिका को समर्पित किया जाता है।
 
रोली, अक्षत व पुष्प को भी पूजन में प्रयोग किया जाता है। गंध-पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन किया जाता है। पूजन के बाद जल से अर्घ्य दिया जाता है। अगले दिन रंगों का पर्व उत्साह से मनाया जाता है। 


















 

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