होली : शिव-पार्वती की पौराणिक कहानी
होली की एक प्रामाणिक कथा के अनुसार हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान भोलेनाथ से हो जाए परंतु शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे।
पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसीलिए पुराने समय से होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर अपने सच्चे प्रेम का विजय उत्सव मनाया जाता है। जिस दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था वह दिन फाल्गुन शुक्ल अष्टमी थी। तभी से होलाष्टक की प्रथा आरंभ हुई।