होली पूजा की थाल कैसी होना चाहिए, क्या-क्या सामग्री रखें
गुरुवार, 17 मार्च 2022 (04:09 IST)
Holi 2022 : 17 मार्च 2022 गुरुवार को रात में होलिका दहन होगा। होलिका दहन के पहले होलिका की पूजा की जाती है। दहन के बाद भी और दहन के दूसरे दिन भी होलिका की पूजा होती है। आओ जानते हैं कि होली पूजा की थाली कैसी होना चाहिए। उसमें क्या क्या सामग्री होना चाहिए।
होलिका दहन मुहूर्त ( Holika Dahan Muhurat 2022) :
फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 17 मार्च दोपहर 1.13 बजे से 18 मार्च दोपहर 1.03 बजे तक रहेगी।
होलिका दहन एवं पूजा मुहूर्त : 17 मार्च रात्रि 09:21 से 10:31 तक।
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:42 से 12:30 तक रहेगा।
होलिका पूजन थाली कैसी हो, पूजन सामग्री (HoliKa Pujan Thali and samagri ) :
1. थाली : होलिका पूजन के लिए आप चांदी, पीतल, तांबा या स्टील की थाली ले सकते हैं।
2. पूजन समग्री : थाली में रोली, कुमकुम, कच्चा सूत, चावल, कर्पूर, साबूत हल्दी और मूंग रखें। इसके बाद थाली में दीपक, फूल और माला भी रखें। थाली में 3 नारियल और कुछ बताशे रखें। फिर थाली में बड़गुल्लों की माला भी रखें।
इस दिन कंडे, भरभोलिये (उपलों की माला), रंगोली, सूत का धागा, पांच तरह के अनाज, चना, मटर, गेहूं, अलसी, मिठाई, फल, गुलाल, लोटा, जल, गेहूं की बालियां, लाल धागा आदि सामग्री भी एकत्रित कर लें।
3. थाली की शुद्धि : एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसे पूजा स्थल पर ले जाएं और वहीं पर होलिका पूजन से पहले अपनी थाली पर जल का छिड़काव करके उसे पवित्र और शुद्ध करें। आसपास के क्षेत्र को भी पवित्र और शुद्ध करें।
होलिका दहन की पूजा विधि : पूजन करके के पूर्व भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा और आरती करें। फिर सबसे पहले साबूत हल्दी, चावल, मूंग, बताशा, रोली और फूल होलिका पर अर्पित करें। इसके बाद बड़गुल्लों या भरभोलिये की माला अर्पित करें और नारियल भी अर्पित करें और फिर 7 परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत होलिका पर बांधें।
होलिका, प्रहलाद और भगवान नृसिंह के मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजन सामग्री से होलिका की पूजा करें। फिर प्रहलाद की और फिर भगवान नृसिंह की पूजा करें। बारी-बारी से तीनों को अक्षत्, फूल, रोली, गंध आदि अर्पित करें। फिर हनुमान जी, शीतला माता, पितरों की पूजा करें। इसके बाद बाद 7 बार परिक्रमा करते हुए होलिका में कच्चा सूत लपेटें। उसके बाद जल, नारियल, कर्पूर, चना, गन्ना, मटर, गेहूं और अन्य पूजा सामग्री होलिका को चढ़ा देते हैं। उसके बाद अग्नि प्रज्वलित करते हैं। फिर जलती हुई होली की भी पूजा और परिक्रमा करते हैं। दूसरे दिन होली को ठंडी करके के लिए भी उसकी पूजा करते हैं।