धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है। होलाष्टक के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। होलिका दहन के पूर्व दो 2 डांडे रोपण किए जाते हैं। इसमें से एक डांडा होलिका का प्रतीक तो दूसरा डांडा प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है। इन दोनों डांडे की विधिवत पूजा की जाती है। इसके बाद इन डंडों को गंगा जल से शुद्ध करके के बाद इन डांडों के आस-पास गोबर के उपले, लकड़ियां, घास की जाती है और धीरे-धीरे इसे बड़ा करते हुए होलिका दहन वाले दिन इसे जला दिया जाता है।
इस बार होली यानी धुलेंडी का पर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा और रंगों वाली धुलेंडी से एक दिन पूर्व होलिका दहन का पर्व मनाने की परंपरा है। होलिका दहन के लिए प्रदोष काल का मुहूर्त गुरुवार, 17 मार्च को प्राप्त हो रहा है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त-Holika Dahan Muhurat 2022
रात 9.20 मिनट से रात 10.31 मिनट तक।
पूर्णिमा तिथि- गुरुवार, 17 मार्च 2022 दोपहर 01.29 मिनट से शुरू।
शुक्रवार, 18 मार्च को दोपहर 12.47 मिनट पर पूर्णिमा तिथि की समाप्ति।
शुक्रवार, 18 मार्च को होली (धुलेंडी पर्व) मनाया जाएगा।