काशी में फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के अगले दिन हर साल मसान होली का उत्सव मनाया जाता है। इस होली में लोग अधिक संख्या में शामिल होते हैं। इस दिन लोग चिता की राख से होली खेलते हैं और देवों के देव महादेव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। आइए आपको बताते हैं कि काशी में चिता की राख से ही क्यों होली खेली जाती है।
जिनका शव आता उन्हें मिलती है मुक्ति: मान्यता है कि मृत्यु के बाद जो भी शवमणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार के लिए आते हैं, बाबा उन्हें मुक्ति प्रदान करते हैं। मान्यता है कि जिस राम-नाम के जप के साथ शव महाश्मशान पहुंचता है तो शिव अपने आराध्य राम के पांव की धूल रूपी चिताभस्म को माथे पर लगा कर मर्यादा पुरुषोत्तम को अपना सम्मान अर्पित करते हैं।
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