फागुन महीना मस्ती का होता है। इस महीने में ही रंगों के सबसे प्यारे त्योहार आते हैं। होली और रंगपंचमी के साथ ही उन सभी रचनाओं की भी बरबस याद आ जाती है जो हमारे चेहरे पर मुस्कान लाती है। रंगों का यह त्योहार ऐसी रचनाओं के लिए ही जाना जाता है, जिनसे दूसरों को प्रसन्नता और उल्लास मिले।
हास्य कवयित्री - ऋचा पावरी कहती हैं संबंधों की स्लेट पर प्रेम की नई इबारत लिखने का त्योहार है होली और ऐसे में तो हर रचना प्रसन्नतापूर्ण जान पड़ती है। रंगों का यह त्योहार हमें उल्लास के वातावरण में ले जाता है और हमारे मन की खिन्नता को मिटाता है। इस दिन हम रूठों को मना लेते हैं और कुछ ऐसा भी रच सकते हैं जो दूसरों को हंसा सके।
लेखिका- सीमा उर्फ समता शर्मा के अनुसार कुछ भी अच्छा करने की प्रेरणा फागुन से ही मिलती है। इस समय मन के बौराने की बात भी कही जाती है, जो आनंद की चरम अवस्था है और ऐसे में रचना का हास्यप्रधान होना बहुत स्वाभाविक है।