जनश्रुति के अनुसार गोवा की रचना भगवान परशुराम ने की थी। उन्होंने अपने बाणों से समुद्र को कई योजन पीछे धकेल दिया था। आज भी गोवा के कई स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि है। उत्तरी गोवा में हरमल के पास भूरे रंग का एक पर्वत है। इसे परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से गोवा के बारे में सबसे पहले महाभारत में लिखा गया था। उस समय गोवा का नाम गोपराष्ट्र अर्थात गाय चराने वाले का देश हुआ करता था। माना जाता है कि गोवा गोपराष्ट्र का ही अपभ्रंश है।
3. गोवा में कोंकण भाषा बोली जाती है। यह कोकणस्थ लोगों का त्योहार है। ग्रामीण लोग भी यह त्योहार मनाते हैं। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से में गोंड़ी भाषी लोग होली को शिमगा सगगुम पाबुन कहते हैं। यहां के स्थानीय भाषा में शिवजी को शंभू शेक कहा जाता है।