1. बांकेबिहारी की होली : संपूर्ण ब्रजमंडल में होली और रास की बड़ी धूम रहती है। ब्रजमंडल में खासकर मथुरा में लगभग 45 दिन के होली के पर्व का आरंभ वसंत पंचमी से ही हो जाता है। बसंत पंचमी पर ब्रज में भगवान बांकेबिहारी ने भक्तों के साथ होली खेलकर होली महोत्सव की शुरुआत की थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। ब्रज मंडल में होली सबसे ज्यादा धूम बरसाने में रहती है। विश्वविख्यात है बसराने की होली। इस होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां कई तरह से होली खेलते हैं, रंग लगाकर, डांडिया खेलकर, लट्ठमार होली आदि। राधा-कृष्ण के वार्तालाप पर आधारित बरसाने में इसी दिन होली खेलने के साथ-साथ वहां का लोकगीत 'होरी' गाया जाता है।
2. पूतना का वध : मथुरा की जेल में जन्म लेते ही श्रीकृष्ण नंदगाव क्षेत्र में पहुंच गए थे जहां उनका बचपन गुजरा और कई असुरों का वध किया और देवों का उद्धार किया। होली के त्योहार में रंग कब से जुड़ा इसको लेकर मतभेद है परंतु इस दिन श्रीकृष्ण ने पूतना का वध किया था और जिसकी खुशी में गांववालों ने रंगोत्सव मनाया था।
3. रासलीला : यह भी कहा जाता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रासलीला रचाई थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था। श्रीकृष्ण जब थोड़े बड़े हुए तो वृंदावन उनका प्रमुख लीला स्थली बन गया था, जहां उन्होंने रास रचाकर दुनिया को प्रेम का पाठ पढ़ाया था।
4. रंगपंचमी : होलिका दहन के दूसरे दिन धुलेंडी और धुलेंडी के चौथे दिन रंगपंचमी मनाई जाती है। कहते हैं कि इस दिन श्री कृष्ण ने राधा पर रंग डाला था। इसी की याद में रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन श्री राधारानी और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है। राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं।
5. पीला रंग : श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। इसलिए श्रीकृष्ण को पीतांबर कहा जाता है और पीले फूल, पीले वस्त्र से वह सजे हुए रहते हैं। होली के दिन भगवान श्रीकृष्ण को पीला रंग समर्पित करना चाहिए।