1. भक्त प्रहलाद के पिता का नाम हिरण्यकश्यप और दादा का नाम कश्यप ऋषि और दादी का नाम दिति था। उनकी माता का नाम कयाधु था। माता विष्णु की भक्त थीं। कयाधु भक्त प्रहलाद की माँ ने अपने पति हिरण्यकश्यप से होशियारी से विष्णु का नाम जपवा लिया। और इसके प्रभाव से ही कयाधु, ने प्रहलाद जैसे विष्णुभक्त को जन्म दिया।
3. भक्त प्रहलाद की पत्नि का नाम धृति था जिससे महान पुत्र विरोचन का जन्म हुआ। विरोचन का विवाह बिशालाक्षी से हुआ था। जिससे महाबली और महादानी राजा बलि उत्पन्न हुआ, जो महाबलीपुरम के राजा बने। इन बालि से ही श्री विष्णु ने वामन बनकर तीन पग धरती मांग ली थी। प्रहलाद के महान पुत्र विरोचन से एक नई संक्रांति का सूत्रपात हुआ था। इंद्र से जहां आत्म संस्कृति का विकास हुआ वहीं विरोचन से भोग संस्कृति जन्मी। इसके पीछे एक कथा भी चलित है।
5. भक्त प्रहलाद के तीन भाई थे- अनुहल्लाद, हल्लाद और संहल्लाद।
6. हरिश्यकश्यप का भाई हिरण्याक्ष उनका चाचा था जिसे श्रीहरि विष्णु ने वराह रूप धारण करके मार दिया था।
7. भक्त प्रहलाद दैत्य कुल के होने के बावजूद विष्णु भक्त थे। उनकी कयाधु के अलावा सभी परिजन हिरण्यकश्यप और बुआ होलिका तथा अन्य आसुरी स्वभाव लोग थे। जिनमें दत्तात्रेय, शंड और मर्क, आयुष्मान, शिवि, विरोचन,वाष्कल, और यशकीर्ति आदि विष्णुभक्त भी थे। जिनमें प्रह्लाद सबसे महान थे।