आपके घर में यदि सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तो आपके घर-परिवार में खुशहाली आती है। वास्तु के अनुसार आपके घर में दरिद्रता, बीमारी, कलह आदि का कारण नकारात्मक ऊर्जा है, जो आपके परिवार का सुख-चैन छीनती है।
वास्तु के कुछ आधारभूत नियम हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने घर का सुख-चैन लौटा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने घर की साज-सज्जा में कुछ आमूलचूल परिवर्तन करना होगा।
कैसे बढ़ाएँ सकारात्मक ऊर्जा :- * घर की नियमित साफ-सफाई नहीं होने से दीवारों व सामानों पर धूल-मिट्टी जम जाती है, जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। * आजकल दीपावली, शादी, जन्मदिन आदि अवसरों पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ उपहारस्वरूप देने का चलन है। भगवान की मूर्तियों को उपहारस्वरूप देना व घर में शो-पीस के रूप में सजाना दोनों ही गलत है। * बच्चों के पुराने खिलौनों की नियमित सफाई होना भी बेहद जरूरी है। इन टूटे-फूटे व धूल लगे खिलौनों में हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जिन्हें वास्तु की भाषा में नकारात्मक तत्व कहा जाता है। * घर में बेकार, टूटा-फूटा या जंग लगा सामान एकत्र नहीं करना चाहिए। खासकर बंद पड़ी घडि़यों व टूटी मूर्तियों का घर में होना वास्तु के अनुसार अच्छा नहीं माना जाता है। * वास्तु की भाषा में खुला-खुला घर व्यक्ति के खुले विचारों का द्योतक माना जाता है। अत: आपका घर जितना हवादार व खुला होगा उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा आपके घर में प्रवेश करेगी। * खाली पड़े व बिखरे बर्तन घर के खालीपन के द्योतक होते हैं। सजावट के लिए हम मिट्टी व टेराकोटा के कई प्रकार के बर्तनों, घड़ों आदि का उपयोग करते हैं। इन्हें घर में सजाना तो ठीक है परंतु यहाँ-वहाँ लुढ़के व खाली पड़े बर्तन वास्तु में अच्छे नहीं माने जाते। * घरों में अनावश्यक फर्नीचर और बड़ी-बड़ी आकृतियाँ रखना सकारात्मक ऊर्जा के संचार में बाधा उत्पन्न करता है। अत: घर में केवल उपयोगी वस्तुएँ ही रखें।