मकान बनाते समय दक्षिण व पश्चिम दिशा की अपेक्षा उत्तर व पश्चिम दिशा की अपेक्षा उत्तर व पूर्व में सर्वाधिक खुला स्थान रखें। सूर्य का प्रकाश भवन को प्रकाशित करे या अधिक देर तक धूप रहे, ऐसा होना आवश्यक है।
भूमि पर निर्माण कार्य का प्रारंभ सर्वप्रथम पश्चिम या दक्षिण दिशा में करें, फिर अन्य दिशाओं में आगे बढें। दक्षिण व पश्चिम में मोटी दीवारें होनी चाहिएँ।
मकान में खुली छत पूर्व तथा उत्तर दिशा में रखनी चाहिए। जब दो मंजिला भवन निर्माण की योजना बना रहे हों, तो ध्यान में रखें कि दक्षिण व पश्चिम की अपेक्षा पूर्व व उत्तर की ऊँचाई कम होनी चाहिए।
मकान में उत्तर तथा पूर्व दिशा में सर्वाधिक दरवाजे तथा खिड़कियों को लगवाएँ। दरवाजे तथा खिड़कियों की संख्या समरूप में रखें- जैसे 2, 4, 6, 8, 10 आदि।
विषम संख्याएँ होती हैं- 1, 3, 5, 7, 9 आदि, उनसे बचें। यह भी ध्यान में रखें कि संख्या के अन्त में शून्य न हो। इसलिए 10 से भी बचें।
मकान में मुख्य द्वार एक ही होता है। मुख्य द्वार में मांगलिक चिन्ह जैसे स्वास्तिक या कलश या क्रॉस बनवाएँ।
मकान में रसोईघर आग्नेय कोण में बनवाएँ। यह अत्यंत शुभ व सर्वाधिक श्रेष्ठ तथा उत्तम है।