Bhopal Gas Tragedy History: हर साल 3 दिसंबर को भोपाल गैस त्रासदी दिवस मनाया जाता है। गैस त्रासदी का भयावह दिन, जिसके बारे में सोचकर ही रूह कांप जाती है। आज ही के दिन 3 दिसंबर 1984 की रात्रि में इस रात ने हजारों लोगों को अपने मौत की आगोश में सुला लिया था। इस दिन को हम सभी भोपाल गैस त्रासदी दिवस के नाम से जानते हैं।
Highlights
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भोपाल गैस त्रासदी की कहानी।
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3 दिसंबर इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना का दिन।
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मध्यप्रदेश भोपाल गैस कांड की त्रासदी दिवस।
कहा जाता है कि इस हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड के प्रमुख अधिकारी वॉरेन एंडरसन रातोंरात भारत छोड़कर अमेरिका फरार हो गए और इसके बाद से फिर कभी भारत नहीं लौटें थे। हालांकि यूनियन कार्बाइड लिमिटेड के तत्कालीन मुखिया और इस त्रासदी के मुख्य आरोपी रहे एंडरसन की 29 सितंबर 2014 को मृत्यु हो गई थी, अब इस त्रासदी का मुख्य आरोपी इस दुनिया में नहीं है।
इस रात भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली जहरीली गैस के रिसाव से समूचे शहर में मौत का तांडव मचा दिया था। आज भी उस घटना की चपेट में आए कई लोग आज भी इस दर्द झेल रहे हैं, और अपने अपंगता का दुख उन्हें आज भी उतनी ही पीड़ा दे रहा है। आज भी लोगों के दिल में वहीं दर्द, तथा न्याय की आस में जोड़े हुए हाथ दिखाई पड़ते हैं, और उनके अपनों को खोने का गम शायद कोई भर भी नहीं सकता।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक माना जाता हैं कि मिथाइल आइसोसाइनेट गैस और दूसरी जहरीली रसायन के कारण उस रात यानि 3 दिसंबर को हुए हादसे में करीबन 5 लाख 58 हजार 125 लोग इस घटना की चपेट में आ गए थे और जिससे कुछ ही दिनों में 25 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थीं। तथा एक स्टडी में यह पाया गया था कि उस समय जन्म के बाद से ही करीब 2500 से ज्यादा बच्चे विकृति का शिकार हो गए। तो करीब 1700 से अधिक बच्चे जन्म से ही विकृति पैदा हुए।
आज भी 3 दिसंबर, 1984 का भोपाल में घटी दुर्घटना का यह दिन पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना के रूप जानी जाती है। तथा भोपाल में 3 दिसंबर को आधी रात के बाद सुबह यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से निकली जहरीली गैस जो कि मिक/ मिथाइल आइसो साइनाइट थीं, और इसने हजारों लोगों को काल के रूप में गहरी नींद में सुलाकर उनकी जानें ले ली थी। और आज भोपाल इस हादसे से पूर्णतया उबर नहीं पाया है।
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