9 अगस्त : अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन दिवस का इतिहास और खास बातें
सोमवार, 9 अगस्त 2021 (11:45 IST)
भारत को 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली थी। आज आजादी के 74 साल पूरे हो गए हैं। 9 अगस्त को 'भारत छोड़ो आंदोलन दिवस' मनाया जाता है। इसे 'अंगस्त क्रांति' भी कहा जाता है। आओ जानते हैं इसी आंदोलन की खास बातें।
* 8 अगस्त 1947 को मुंबई अधिवेशन में 'भारत छोड़ो आंदोलन' का प्रास्ताव पारित हुआ।
* 9 अगस्त को पूरे देश में 'करो या मरो' ने नारे के साथ आंदोलन शुरु हुआ।
* यह आंदोलन 'अगस्त क्रांति के रूप में भी जाना जाता है।
* महात्मा गांधी ने प्रारंभ किया था अंग्रेजों के विरुद्ध यह आंदोलन।
* हजारों भारतीयों को जेल में डाल दिया गया था और सैंकड़ों लोग मारे गए थे।
* अंग्रेजों द्वारा भारत छोड़ने के संकेत देने के बाद यह आंदोलन स्थगित कर दिया गया।
1. कहते हैं कि क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया था जिसके चलते ही 8 अगस्त 1942 को मुम्बई अधिवेशन में प्रस्ताव रखा गया और 9 अगस्त 1942 को आंदोलन प्रारंभ हुआ।
2. अमूमन 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है, परतु ये आंदोलन 8 अगस्त 1942 से आरंभ हुआ था। दरअसल, 8 अगस्त 1942 को बंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने वह प्रस्ताव पारित किया था, जिसे 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव कहा गया. इसके बाद से ही ये आंदोलन व्यापक स्तर पर आरंभ किया हुआ।
3. यह भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल आजाद करवाने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आन्दोलन था। इस मौके पर महात्मा गाधी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से देश को 'करो या मरो' का नारा दिया था।
4. महात्मा गांधी ने आंदोलन में अनुशासन बनाए रखने को कहा था परंतु जैसे ही इस आंदोलन की शुरूआत हुई, 9 अगस्त 1942 को दिन निकलने से पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे और कांग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया था। यही नहीं अंग्रेजों ने गांधी जी को अहमदनगर किले में नजरबंद कर दिया।
5. महात्मा गांधी को नजरबंद किया जाने के समाचार ने देशभर में हड़ताल और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों शुरु हो गई। कहते हैं कि इस आंदोलन में करीब 940 लोग मारे गए थे और 1630 घायल हुए थे जबकि 60229 लोगों ने गिरफ्तारी दी थी।
6. आंदोलन के दौरान पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी।
7. ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन के प्रति काफी सख्त रुख अपनाया फिर भी इस विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश सरकार को सालभर से ज्यादा समय लग गया।
8. इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक भारत को संगठित कर दिया था। सभी धर्म औ जाति के लोग एक साथ अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े हो गए थे।
9. 1943 में ही 10 फरवरी को महात्मा गांधी ने 21 दिन का उपवास शुरू किया था। उपवास के 13वें दिन गांधी जी हालत बेहद खराब होने लगी थी। अंग्रेजों द्वारा देश को स्वतंत्र किए जाने के संकेत के चलते गांधीजी ने आंदोलन को बंद कर दिया और अंग्रेजों ने कांग्रेसी नेताओं सहित लगभग 100,000 राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया।
10. 'भारत छोड़ो आंदोलन' भारत का सबसे तीव्र और विशाल आंदोलन था जिसमें सभी लोगों की भागिदारी थी। इसी के चलते अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा परंतु उन्होंने 1942 से 1947 के बीच हिन्दू मुस्लिम के बीच फूट डाल दी थी जिसके चलते भारत का विभाजन भी हुआ।