स्वतंत्रता दिवस पर जोरदार भाषण, यह सुन हर कोई तालियों से करेगा आपका स्वागत

WD Feature Desk

सोमवार, 11 अगस्त 2025 (15:21 IST)
speech on independence day in hindi: 15 अगस्त को हम सभी भारतवासी मिलकर पूरे हर्ष और उल्लास से देश की आजादी का जश्न मनाते हैं। इस अवसर पर स्कूल और कॉलेजों में स्वाधीनता दिवस के अवसर पर भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इस मौके पर यदि आप अपने विचार मंच से प्रस्तुत करना चाहते हैं तो एक प्रभावशाली भाषण आपके विचारों को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत करने के लिए बहुत कारगर और जरूरी है। इस आलेख में हम आपके लिए भाषण का एक ऐसा ही प्ररूप दे रहे हैं। इसे आप आपनी शैली में पूरे जोश के साथ मंच से बोलकर पुरस्कार के लिए अपनी दावेदारी सुनिश्चित कर सकते हैं।   

मंच पर उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों, आदरणीय गुरुजनों, और मेरे प्यारे देशवासियों!
आप सभी को 78वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
आज 15 अगस्त का यह शुभ दिन हम सभी भारतीयों के लिए गौरव और सम्मान का प्रतीक है। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उन अनगिनत बलिदानों, संघर्षों और सपनों का प्रतीक है, जिन्होंने हमें एक आजाद राष्ट्र के रूप में पहचान दिलाई। आज जब हमारा तिरंगा आसमान में शान से लहराता है, तो यह हमें उन महान देशभक्तों की याद दिलाता है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराया।

देशभक्तों के बलिदान का जश्न
हमारी स्वतंत्रता की कहानी सदियों के संघर्षों से सजी हुई है। यह आजादी हमें उपहार में नहीं मिली, बल्कि यह 200 सालों की यातना, उत्पीड़न और बलिदान का परिणाम है। इस आजादी की नींव महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन, पंडित जवाहरलाल नेहरू के दूरदर्शी नेतृत्व, सुभाष चंद्र बोस के 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' जैसे प्रेरणादायक नारों और भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की क्रांतिकारी शहादत पर टिकी है। रानी लक्ष्मी बाई की वीरता, मंगल पांडे का विद्रोह, और सरदार पटेल के लौह-इरादों ने इस आंदोलन को एक नई दिशा दी। इन सभी वीरों ने भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपना आज कुर्बान कर दिया। यह दिन हमें उन सभी महान आत्माओं को नमन करने का अवसर देता है, जिन्होंने हमें एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में जीने का अधिकार दिलाया।

आज़ादी के बाद देश के सामने थी ये चुनौतियां
15 अगस्त, 1947 की सुबह, जब सूरज की पहली किरण ने आजाद भारत की धरती को रोशन किया, तो हमारे सामने जश्न के साथ-साथ कई बड़ी चुनौतियां भी थीं। सबसे बड़ा दर्द था भारत का विभाजन, जिसने लाखों परिवारों को बेघर कर दिया और सांप्रदायिक हिंसा का भयानक मंजर दिखाया। इसके अलावा, देश के सामने गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसी गंभीर समस्याएं थीं। देश को 500 से अधिक रियासतों में विभाजित किया गया था, जिन्हें एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में एकीकृत करना एक बेहद मुश्किल कार्य था। हमारे पहले प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में, "आजादी तो मिल गई, लेकिन अब हमें गरीबी और निरक्षरता से लड़ना है।"

स्वतंत्रता से अब तक भारत की उपलब्धियां
पिछले 77 वर्षों में, भारत ने इन चुनौतियों का सामना करते हुए एक असाधारण सफर तय किया है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, हमने एक मजबूत संविधान का निर्माण किया है, जिसने हर नागरिक को समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार दिया है। आर्थिक मोर्चे पर, हमने एक पिछड़े देश से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का सफर तय किया है। कृषि में हरित क्रांति ने हमें खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, हमारा इसरो (ISRO) आज दुनिया के गिने-चुने देशों में शामिल है, जिसने सफलतापूर्वक मंगलयान, चंद्रयान जैसे मिशन पूरे किए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे  में भी हमने अभूतपूर्व प्रगति की है।

देश का भविष्य अब हम युवाओं की जिम्मेदारी 
आज का भारत एक युवा देश है। हमारी 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। यह युवा पीढ़ी ही हमारे देश का भविष्य है, जो नए भारत की नींव रखेगी। यह पीढ़ी न केवल आधुनिक चुनौतियों को समझने में सक्षम है, बल्कि उनके पास उन्हें सुलझाने की क्षमता और नवाचार का जुनून भी है। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियान युवाओं को नए विचार लाने और देश के विकास में सीधे तौर पर योगदान देने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि यही युवा अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और देशभक्ति से भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिला सकते हैं।

आगे का सफर: टेक्नोलॉजी और संस्कृति को लाना होगा साथ
आज हम एक ऐसे चौराहे पर खड़े हैं, जहां हमें अपनी जड़ों को मजबूत रखते हुए भविष्य की ओर देखना है। हमें अपनी टेक्नोलॉजी और संस्कृति को साथ लेकर चलना होगा। टेक्नोलॉजी हमें वैश्विक मंच पर मजबूती देती है, हमारी अर्थव्यवस्था को गति देती है और जीवन को आसान बनाती है। लेकिन, हमारी संस्कृति हमारी पहचान है, हमारे संस्कार हैं, और हमारे नैतिक मूल्य हैं। हमें आधुनिकता को अपनाना होगा, लेकिन अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, कला, संगीत, और परंपराओं को सहेजना और बढ़ावा देना होगा। यही संतुलन हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करने में मदद करेगा, जो आर्थिक रूप से शक्तिशाली होने के साथ-साथ नैतिक और सांस्कृतिक रूप से भी मजबूत होगा।

 
क्या है स्वाधीनता का सही अर्थ और जिम्मेदारी
हमें समझना होगा कि स्वाधीनता का अर्थ केवल राजनीतिक गुलामी से मुक्ति नहीं है। यह अपने शासन में, अपनी नीतियों में, अपनी संस्कृति में और अपने विचारों में 'स्व' यानी स्वयं के अधीन होना है। महात्मा गांधी के शब्दों में, "सच्ची आजादी तब तक नहीं मिल सकती जब तक हम खुद को अपने ही स्वार्थों और सामाजिक बुराइयों की बेड़ियों से आजाद न कर लें।"
 
स्वतंत्रता एक अधिकार है, तो स्वाधीनता एक जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी है देश के संविधान, उसकी अखंडता और लोकतंत्र की रक्षा करने की। यह जिम्मेदारी है हर नागरिक को शिक्षित, स्वस्थ और सशक्त बनाने की। हमें समझना होगा कि स्वतंत्रता हमें केवल अधिकार नहीं देती, बल्कि देश के प्रति हमारे कर्तव्यों का भी बोध कराती है। हमें अपने समाज से गरीबी, अशिक्षा, असमानता और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। यही सही मायनों में उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने हमें यह आजादी दिलाई।

आइए, हम सब मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करने का संकल्प लें, जहां हर व्यक्ति को शिक्षा, स्वास्थ्य, सम्मान और समृद्धि मिले। जहां हर व्यक्ति को अपने सपनों को पूरा करने का मौका मिले।
जय हिंद! भारत माता की जय!
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