पाकिस्तानी रक्षामंत्री चौधरी अहमद मुख्तार ने पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के साथ युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा।
मुख्तार ने गुजरात में कहा कि गत महीने नई दिल्ली में हुए एक सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जरदारी द्वारा दिया गया बयान पाकिस्तान के हित में दिया गया बयान था, क्योंकि ज्यदातर लोग परमाणु हथियारों के घातक प्रभाव को लेकर सचेत नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि परमाणु हथियार अवरोधक के रूप में काम कर रहे हैं और यह भी एक वजह है कि दोनों देश युद्ध से पीछे हट रहे हैं। जरदारी के घनिष्ठ सहयोगियों में से एक मुख्तार ने कहा कि राष्ट्रपति से कोई भी परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल न करने संबंधी बयान को वापस लेने के लिए नहीं कह सकता।
अमेरिका के वरिष्ठतम सैन्य अधिकारी एडमिरल माइक मुलेन के उस बयान के बारे में पूछे जाने पर जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत यदि मुंबई हमलों के बाद आवेश में आकर हमले करता है तो पाकिस्तान को शांत रहना चाहिए।
मुख्तार ने कहा कि कोई भी पाकिस्तान को इस बारे में दिशा-निर्देशित नहीं कर सकता कि उसे अपनी सीमाओं और संप्रभुता की रक्षा कैसे करनी है। उन्होंने कहा कि यदि हमला होता है तो कोई भी पाकिस्तान को जवाब देने से नहीं रोक सकता।
मुख्तार ने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेशमंत्री ने विश्व समुदाय में पाकिस्तान के अपने दोस्तों से चर्चा कर युद्ध के खतरे को कम किया है।
उन्होंने कहा कि मुंबई हमलों की जाँच एक बार सार्वजनिक होने पर पाकिस्तान सरकार भारत के साथ विश्वास बहाली के अपने कदमों की समीक्षा करेगी।
भारत ने मुंबई हमलों के लिए पाकिस्तान में मौजूद तत्वों को जिम्मेदार ठहराया है, जिनमें 180 से अधिक लोग मारे गए थे। भारत ने पाकिस्तान से लश्कर-ए-तोइबा सहित इन तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की है।
पाकिस्तान इस जिद पर अड़ा है कि भारत राजनयिक चैनलों के जरिये सबूत मुहैया कराए, ताकि वह मुंबई हमलों में अपनी जाँच आगे ले जा सके।