राम नवमी पर इन 5 पारंपरिक पकवानों से लगाएं भोग, प्रभु श्री राम देंगे शुभाशीष

राम नवमी के दिन प्रुभ श्री राम के पूजन एवं आरती के उपरां‍‍त नैवेद्य अथवा भोग को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इस दिन व्रत-उपवास रखने के साथ ही अगर आप इन पारंपरिक व्यंजन से प्रभु श्री राम को नैवेद्य चढ़ाएंगे तो निश्‍चित ही आपके जीवन खुशियों से भर जाएगा। आइए जानें 5 सरल व्यंजन विधियां :- 
 
रोज फ्लेवर श्रीखंड
 
सामग्री : 
फ्रेश दही एक लीटर अथवा आधा किलो चक्का (श्रीखंडा का), पिसी शक्कर डेढ़ कटोरी, 2 चम्मच गुलकंद, आधा कटोरी सूखे गुलाब की पत्तियां, पाव कटोरी मेवे की कतरन, आधा चम्मच इलायची पावडर। 
 
विधि : 
सबसे पहले दही को 3-4 घंटे के लिए मलमल के कपड़े में बांध कर लटका दीजिए। जब तक कि दही का पूरा पानी न निथर जाए। अब गुलकंद में दो चम्मच गुलाब की पत्तियों को मिला लें। गाढ़े दही या चक्का और पिसी शक्कर को बड़े बर्तन में अच्छी तरह मिलाएं। 
 
किसी छलनी या बारीक कपड़े से छान लें, ताकि कण न रह जाएं। गुलकंद, मेवे की कतरन और इलायची डालकर अच्छी तरह मिलाएं। कटोरियों में डालकर बची गुलाब की पत्तियों से सजा कर पेश करें। इसे आप उपवास में भी उपयोग में ला सकते हैं।
 
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फलाहारी चूरमा विथ ड्राई फ्रूट्स 
 
सामग्री : 
250 ग्राम सिंघाड़ा आटा, 250 ग्राम राजगिरा आटा, 300 ग्राम गुड़, 50-50 ग्राम गोंद और बादाम बारीक कटी, 1 छोटा चम्मच इलायची पावडर, 1 खोपरे का गोला कसा हुआ, 1 बड़ा चम्मच घी (मोयन), 100 ग्राम घी तलने के लिए। सजावट के लिए- 4-5 चांदी का वर्क, किशमिश, बादाम और काजू। 
 
विधि : 
राजगिरे और सिंघाडे के आटे को मिलाकर एक बड़ा चम्मच घी का मोयन डालकर ठंडे पानी से आटा गूंथ लीजिए। ध्यान रहें आटा पूरी के आटे जैसा गूंथना है। अब एक कड़ाही में घी गर्म करें। तैयार आटे के मुठिए बनाकर घी में गुलाबी होने तक धीमी आंच पर तलें।
 
अब मुठिए ठंडे होने के लिए रख दें। ठंडे होने पर उसे मिक्सी में पीस लें। इसे छानें। उसी घी में गोंद के फूले तल लें। अब 100 ग्राम के करीब घी लेकर उसमें गुड़ को धीमी आंच पर गर्म कर लें। 
 
जब गुड़ पूरी तरह घी में मिल जाए, तब उसमें पिसा हुआ मुठिए का मिश्रण मिला लें। फिर उसे परात में लेकर उसमें इलायची, गोंद के फूले, खोपरा बूरा और बादाम की कतरन मिला लें। लीजिए तैयार है फलाहारी चूरमा विथ ड्राई फ्रूट्स। इस पर चांदी का वर्क लगाएं। बादाम, काजू और किशमिश से सजा कर पेश करें।
 
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राजगिरे के आटे का हलवा
 
सामग्री : 
150 ग्राम राजगिरा आटा, आधा कटोरी शक्कर, पाव चम्मच इलायची पावडर, पाव कटोरी कटे मेवे, घी आवश्यकतानुसार व एक गिलास गरम पानी। 
 
विधि : 
सबसे पहले राजगिरा आटे को छान लें। एक कड़ाही में घी गरम करके आटे को धीमी आंच पर जब तक सेकें तब तक आटे में से भीनी-भीनी खुशबू न आने लगे। 
 
राजगिरे की घी में अच्छी तरह सिकाई होने के बाद उसमें गरम पानी डालें व अच्छी तरह हिलाएं। अब शक्कर डालें व हिलाती रहें। जब हलवे का मिश्रण कड़ाही के किनारे छोड़ने लगे तब गैस बंद कर दें। इलायची और मेवे मिलाकर ढंक दें। अब तैयार राजगिरा हलवा से प्रभु को भोग लगाएं।
 
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सिंघाड़े के लड्डू
 
सामग्री : 
सिंघाड़े का आटा 200 ग्राम, राजगिरे का आटा 100 ग्राम, शक्कर 300 ग्राम, देशी घी 200 ग्राम, इलायची पिसी हुई, खोपरे के छोटे-छोटे टुकड़े, काजू, बादाम।
 
विधि :
सबसे पहले सिंघाड़े व राजगिरे के आटे को धीमी आंच पर घी डालकर सेंक लें। खुशबू आने लगे तब शक्कर पीसकर उसमें मिला दें। इलायची, खोपरा, काजू, बादाम भी मिला दें।
 
गरम-गरम ही लड्डू बना लें, नहीं बंधने पर थोड़ा घी और मिलाएं, फिर लड्डू बना लें। यह स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक भी होते हैं।
 
 
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राजगिरे की पंजीरी
 
सामग्री :
100 ग्राम राजगिरे का आटा, 150 ग्राम शक्कर बूरा, 50 ग्राम किशमिश, 100 ग्राम सभी प्रकार के मेवों की कतरन, आधा चम्मच पिसी इलायची, पाव कटोरी तला व बारीक कूटा हुआ गोंद, कुछेक किशमिश, 150 ग्राम घी।
 
विधि : 
सर्वप्रथम घी गरम कर राजगिरे का आटा डालकर धीमी आंच पर गुलाबी होने तक सेक लें। सिका आटा थोड़ा ठंडा होने के पश्चात शक्कर बूरा और इलायची पावडर मिलाकर मिश्रण को एकसार कर लें। 
 
अब उसमें तला गोंद व मेवों की कतरन तथा किशमिश मिक्स कर दें। लीजिए तैयार है राजगिरे की शाही पंजीरी।
 
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- राजश्री कासलीवाल

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