कुंभ का एक अंधेरा पक्ष यह भी...!

- महेश पाण्ड
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कुंभनगरी में जहाँ कुंभ का उतार जारी है, वहीं बिछुड़े लोगों का गम उनके स्वजनों पर जारी है। कई लोग बिछड़ने से स्वजनों से जुदा होने के गम में दर-दर भटक रहे हैं, तो कई लोग खासकर बुजुर्गों को उनके स्वजन यहाँ भगवान भरोसे छोड़कर उनसे मुक्ति पाने के प्रयास में भाग खड़े हुए।

पुलिस द्वारा उन्हें इन स्वजनों की सूचना देने के बावजूद उनके जायों ने उन्हें स्वीकारने से इनकार कर दिया। इनमें से कुछ दुःखी लोग गंगा में कूदकर जान देने की बात कह रहे हैं तो कुछ उम्र के इस पड़ाव पर आँसुओं की बौछार कर अपने प्रति स्वजनों के व्यवहार पर गंगा मैय्या का ही स्मरण कर भाग्य के भरोसे रहने को मजबूर हैं। मेले का यह अंधेरा पक्ष अब मेले की तमाम रौनकों के बाद पसरे सन्नाटे में धर्मनगरी के लोगों को व्यथित भी कर रहा है।

बिहार के भागलपुर की रीता देवी ऐसी ही अभागी है, जिसे उसके स्वजन हर की पैड़ी पर छोड़कर चलते बने। उनको अब जिद है कि यदि घर वाले उन्हें लेने नहीं आए तो वे गंगा जी की ही गोद में समा जाएँगी। शाहजहाँपुर की एक 89 वर्षीय महिला भी यहाँ पुलिस को मिली थी। उसके परिजनों से संपर्क साधने पर उन्होंने उक्त महिला को ले जाने से इनकार कर दिया।

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कई डूबे व्यक्तियों की अज्ञात लाशों का मिलना जारी है। गत दिवस भी एक साधु पेड़ से लटके मिले। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कुंभ में कई दुखी लोग भी अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए या तो स्वयं डूब कर मर गए या फिर कई को उनके स्वजनों ने ही इस धर्मनगरी में अधर्म कर मार डाला।

हालाँकि कुछ गुम गए लोगों को ढूँढने उनके स्वजन पुलिस एवं खोया-पाया केंद्र पर चक्कर लगा रहे हैं। पुलिस ने एक हास्यास्पद दावा कर अपने को गुमशुदा लोगों का हितैषी बताया कि 30 हजार लोगों को वे मिलवा चुके हैं, जबकि गुमशुदा मामलों की जो रिपोर्ट मिली वो 26 हजार के आस-पास थी। स्वयं अपने ही दावों में हास्यास्पद रूप से उलझी पुलिस का दावा हवाई भले ही हो, लेकिन आज भी मेले में बिछु़ड़े तमाम लोगों का उनके स्वजनों को इंतजार है। उनका पता न चलने से वे व्यथित हैं। जिनको उनके परिजन बोझ समझकर यहाँ छोड़ गए, उन्हें भी किसी अपने का इंतजार है कि उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें शायद कोई अपना मिल जाए। यह कुंभ का अंधेरा पक्ष है, जिससे कुंभनगरी के निवासियों की भी आँखें भर जाती हैं।

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