कुंभनगरी में हिल बायपास तक आग पहुँच गई। जंगलों की आग मँसा देवी व भीमगौड़ा तक पहुँचकर हरिद्वार को छूने को लालायित दिखी। शहर की तरफ बढ़ती इससे पूर्व काबू पा लिया गया। शिवालिक क्षेत्र में आग की घटनाओं से कुंभ क्षेत्र को भी खतरा है। अब हालाँकि मेला उतार पर है, हरिद्वार की सड़कों पर लगे तोरण द्वार एवं उसमें डटी भीड़ अब खाली हो रही है। स्टेशनों एवं बस अड्डों में भी अब राहत है। लेकिन प्रशासन अब 28 अप्रैल के वैशाखी पूर्णिमा स्नान के लिए जुटा है।
हरिद्वार में एक और लाश पेड़ पर टँगी दिखी। इसके अलावा कल एक नामचीन आश्रम के कर्मकर्ताओं ने एक वृद्घ की लाश सड़क पर फेंक कर धर्मनगरी के आश्रमों के अधर्म को सार्वजनिक कर अपनी असंवेदनशीलता का प्रदर्शन कर अपनी असलियत को उजागर कर दिया। इससे यहाँ की जनता में काफी गुस्सा तो है, लेकिन आश्रम की पहुँच और उसके रसूख के सम्मुख वह मात्र झुँझलाकर रह गई।
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उधर पायलट बाबा के कारवाँ की उस गाड़ी को पुलिस ने चालक समेत पकड़ कर अपना कर्तव्य पूरा कर लिया। साथ ही पायलट बाबा की इस गाड़ी में मौजूदगी और अपने आश्रम से यह गाडि़यों का कारवाँ ले जाने की जिद के बावजूद उन पर अब तक कार्यवाही न होना भी लोगों के रोष का कारण बन रहा है।
गत दिवस दिगम्बर अखाड़े के बाबा हठयोगी ने भी इस मामले पर कोताही बरतने के गम्भीर परिणाम आगामी कुंभ में भी दिख जाने की बात कही है। यह कहा गया है कि पायलट बाबा के इस मामले में शामिल होने के पर्याप्त सबूत है, जिसके कारण हुई भगदड़ ने सात लोगों की जान ले ली, दर्जनों घायल हो गए। इसके बाद हालाँकि कई दर्जन लाशें कुंभनगरी में मिल चुकी हैं, लेकिन प्रशासन इनका सिलसिला बढ़ने का कारण बताने में असमर्थ है।
गुमशुदा व्यक्तियों की जानकारी कराने पर उन्हें पुलिस रिकार्ड में दर्ज करने से बच रही है। पुलिस के अजब के कारनामे कई प्रभावितों पर गजब ढ़ाँते भी सुर्खियाँ बन रहे हैं। लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री कुंभ व्यवस्था को निरापद बताकर नोबल पुरस्कार की चाह में दिल्ली से लेकर देहरादून के बीच चक्कर काट रहे हैं।
बहरहाल, केंद्र द्वारा प्रदत्त फोर्स लौटना शुरू है तो सीमावर्ती राज्यों से आई फोर्स भी लौटने लगी है। राज्य की फोर्स ही अब कुंभ का शेष अंतराल स्वयं सम्पन्न करा लेगी, ऐसी उम्मीद मेला प्रशासन को है।