सिर पर मैला ढोने की प्रथा खत्म करने की मांग के बीच इस पेशे से जुड़ी रही करीब 100 महिलाओं ने गुरुवार को संगम में पवित्र स्नान किया, महाकुंभ में हिस्सा लेने आए श्रद्धालुओं के साथ भोजन किया और यहां आयोजित कई कार्यक्रमों में शिरकत की।
राजस्थान के अलवर और टोंक जिलों से ये महिलाएं गैर सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वरी पाठक के प्रयासों से लाई गई हैं।
पाठक ने यहां कहा कि ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का मकसद प्रतिष्ठा के खिलाफ माने जाने वाले पेशे से जुड़े लोगों का सामाजिक उत्थान है। इसका उद्देश्य समाज को यह संदेश देना भी है कि ये भी हमारे बीच के ही लोग हैं और इन्हें कतई अछूत नहीं माना जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में सुलभ ने कम से कम 13 लाख लोगों को सिर पर मैला ढोने के पेशे से बाहर निकालने में मदद की है।
ये महिलाएं एक समूह में संगम तक गयीं और वहां पवित्र स्नान किया। करीब 150 संस्कृत के विद्वान, साधु-संत और पंडित भी इन महिलाओं के साथ थे।
निरंजनी अखाड़े के स्वामी गजानंदजी महाराज, आनंद अखाड़े के गहानंद महाराज और बाघंबरी गद्दी के स्वामी आनंद गिरी सहित कई अन्य साधु-संतों ने इस प्रयास की सराहना की और इन महिलाओं को संस्कारों में हिस्सा लेने और अन्य श्रद्धालुओं के साथ भोजन करने के लिए आमंत्रित भी किया। (भाषा)