कुंभ और डिजिटल इंडिया

बदलते वक्त में जहां भारत का तकनीकी चेहरा बदला है, वहीं कुंभ आयोजन भी अब हाईटेक हो गए हैं। अब कुंभ के आयोजन में तकनीक का सहारा लेकर उसे और सफल और सुफल बनाने में पहले की अपेक्षा ज्यादा मदद मिल रही है। तकनीक के जरिए अब तो अंतरिक्ष से भी कुंभ मेले के दर्शन किए जा सकते हैं।
कुंभ में सूचना तकनीक के नाम पर सीसीटीवी कैमरे, लाइव स्ट्रीमिंग, आकर्षक वेबसाइट, मीडिया सेंटर और जीपीएस टैगिंग की व्यवस्था है। कुंभ में आने वाली अधिकतर आबादी ग्रामीण बूढ़ों और महिलाओं की है और उनके लिए सूचना तकनीक मोबाइल या फोन से आगे कुछ भी नहीं हैं। हालांकि उनकी मदद करने के लिए जगह-जगह कैंप लगे हैं।
 
सीसीटीवी कैमरे की नजर में रहेगा कुंभ : तकनीक के सहारे संपूर्ण कुंभ क्षेत्र पर अच्छे से नजर रखी जा सकती है। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरें लगे हैं। बड़ी स्क्रीनें भी लगाई गई हैं। शहर की पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है।
 
खोया-पाया सेंटर :  पहले लोगों के बच्चे गुम जाते थे तो समझों वे हमेशा के लिए बिछड़ जाते थे। लेकिन पुलिस ने जगह-जगह सेंटर बनाए हैं जहां आप अपने खोए हुए सामान या व्यक्ति की जानकरी दे सकते हैं। यह जानकारी तकनीक के सहारे संपूर्ण कुंभ क्षे‍त्र में पल भर में भी फैल जाती है। जब यह जानकारी पुलिस नियंत्रण कक्ष को दी जाती है तो वह संपूर्ण कुंभ क्षेत्र में इसकी घोषणा कर देती है। मोबाइल फोन और तमाम तरह के संपर्क साधन है जिसके चलते कोई भी बच्चा अब गुम नहीं सकता।
 
किसी के गुम होने की सूचना पूरे शहर में लगे 1,700 लाउड स्पीकरों से की जा सकती है। यही नहीं इन स्पीकरों से यातायात संबंधी उद्‍घोषणा, जरूरी सुरक्षा सूचना आदि भी की जाती है। इन लाउड स्कीकरों को नियंत्रण कक्ष में लगी सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली से संबद्ध किया गया है।
 
हाईटेक होते साधु : नासिक साधु ग्राम में वैष्णव संप्रदाय, निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़ों के साधु रुके हुए हैं। उनके तंबूओं में भी डिजिटल इंडिया की झलक देखने को मिलती है। लैपटॉप, इंटरनेट, सीसीटीवी कैमरे और तमाम तरह की तकनीकि सुविधा से लैस साधु अब अपना काम आसानी से कर लेते हैं। नासिक में स्थानीय निकाय ने 315 एकड़ से अधिक बड़े स्थान पर साधुओं के रहने के लिए साधुग्राम तैयार किया है। यहां तंबू लगाए गए हैं और शौचालयों, 24 घंटे पेयजल, एलपीजी सिलेंडरों और बिजली की व्यवस्था की गई है।
 
सब कुछ ऑनलाइन : मोबाइल का बिल भरना हो, रेल टिकट बुक कराना हो, पुलिस को सूचना देना हो, पैसे मंगवाना हो या किसी अस्पताल में भर्ती की पर्ची कटवाना हो अब सब कुछ ऑनलाइन होने लगा है। इसके अलावा कौन से बाबा या साधु का तंबू कहां लगा है इसे खोजने या पूछने की जरूरत नहीं बस एक क्लिक करें और उनकी वेबसाइट खुल जाएंगी जहां सारी जानकारी उपलब्ध है। नहीं भी हो तो नगर निमग या शहर की वेबसाइट पर जानकर यह जानकारी हासिल कर सकते हैं। 
 
जीपीएस टैगिंग : जीपीएस टैगिंग के जरिए मेले में कौन-सी चीज कहां हैं- ये जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध रहती है। इससे ये फायदा भी है कि कौन-सी संस्था कहा हैं, मेले में ये सबको पता लग सकेगा। कोई चाहे तो यह अपने मोबाइल से भी जान सकता है।
 
मीडिया के लिए : कुंभ में मीडिया के लिए भी व्य‍वस्थाएं होती है। बड़ा-सा हॉल है जहां कई कंप्यूटर हैं जिस पर खबरें भेज सकते हैं। इंटरनेट इस्तेमाल कर सकते हैं और वीडियो संपादित कर सकते हैं। मीडिया सेंटर बहुत आकर्षक और हाईटेक है। अब पहले जैसा मामला नहीं रहा की कुंभ को कवर करो और फिर उसकी जानकारी टेलीफोन, टेलीग्राम या टेलीप्रिंटर से दो। अब तो इंटरनेट द्वारा तीन घंटे का वीडियो भी दुनिया में कहीं भी तुरंत भेज दिया जाता है। 

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