निर्मोही, निर्वाणी और दिगंबर 3 अखाड़ों से संबंध रखने वाले संत, तपोवन इलाके के लक्ष्मीनारायण मंदिर से गोदावरी नदी के तट पर स्थित रामकुंड तलाब तक निकाले गए भव्य जुलूस में शामिल हुए। वे सजे-धजे रंगीन वाहनों में बैठे थे। गेंदे के फूलों की माला पहने, चंदन और सिंदूर लगाए वे मुंह अंधेरे ही भारी बारिश के बीच शाही स्नान के लिए निकले।
महंतों के शाही स्नान के बाद हजारों भक्तों ने इस आखिरी ‘पर्वणि’ के अवसर पर गौरी पतंगन, कपिला, यशवंतराव महाराज, तलेश्वर और लक्ष्मीनारायण सहित विभिन्न घाटों पर स्नान किया। यह पावन दिन ऋषि पंचमी के दिन आता है। नासिक में शुक्रवार को आखिरी ‘शाही स्नान’ था।
नासिक राज्य सड़क परिवहन निगम ने तीर्थयात्रियों के लिए शहर के बाहरी इलाकों से अतिरिक्त 3 हजार बसें भी चलवाई थीं। शहर के नगर निगम दल, फायर ब्रिगेड, सामाजिक संगठनों, जीवकरक्षकों को शाही स्नान के दौरान किसी भी अप्रिय दुर्घटना को रोकने के लिए पुलिस की सहायता के लिए तैनात किया गया था। (भाषा)