Kumbh Mela 2027 : प्रयागराज महाकुंभ के बाद अगला कुंभ मेला कब और कहां लगेगा?

WD Feature Desk

बुधवार, 19 फ़रवरी 2025 (12:57 IST)
Nashik Kumbh Mela 2027: प्रत्येक 12 साल में उज्जैन और नासिक में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है जिसे सिंहस्थ मेला कहते हैं। हरिद्वार और प्रयागराज में कुंभ मेला, अर्धकुंभ और पूर्ण कुंभ के साथ ही महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। प्रयागराज महाकुंभ 2025 के बाद अगला पूर्णकुंभ महाराष्ट्र के नासिक में वर्ष 2027 में आयोजित होगा। नासिक नगर निगम ने कुंभ मेले की तैयारियों के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। नगर निगम ने आंतरिक और बाहरी पार्किंग स्थल विकसित करने की योजना बनाई है। नगर निगम 300 किलोमीटर से ज्यादा लंबी नई सड़कें बनाने की भी योजना बना रहा है।ALSO READ: सिंहस्थ 2028 : हरिद्वार की तर्ज पर उज्जैन में साधु-संतों, अखाड़ा प्रमुखों व महामंडलेश्वर के स्थायी आश्रम बनाए जाएंगे
 
नाशिक में सिंहस्थ कुम्भ का योग:
स्थान: यह मेला गोदावरी नदी के तट पर नासिक से 38 किलोमीटर दूर त्र्यंबकेश्वर पर लगेगा।
कुंभ मेला प्रारंभ: 17जुलाई 2027 शनिवार को।
कुम्भ मेला समाप्त: 17 अगस्त 2027 मंगलवार को।
कुल कुम्भ दिवस: 32, परंतु 13 दिनों तक यह और जारी रहेगा।
 
सिंह राशि सूर्य सिंह राषौ बृहस्पतौ।
गोदावर्य भवेत् कुम्भो जयते खलु मुक्तिदः।।
जब बृहस्पति सिंह या सिंह (राशि चक्र) में और सूर्य और चंद्रमा कर्क राशि में प्रवेश करते हैं, तो कुंभ नासिक और त्र्यंबकेश्वर में आयोजित किया जाता है।ALSO READ: नासिक सिंहस्थ के बाद उज्जैन सिंहस्थ कुंभ मेला कब लगेगा?
 
नाशिक कुंभ मेले की खासियत:
1. त्र्यंबकेश्वर कुंभ: गोदावरी नदी के तट पर नासिक से लगभग 38 किमी की दूरी पर स्थित त्र्यंबकेश्वर सिहस्थ कुंभ मेला नासिक (त्र्यंबकेश्वर) में प्रत्येक 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। 
 
2. नासिक में कब आयोजित होता है पूर्णकुंभ: जब कर्क राशि में सूर्य और सिंह राशि में गुरु का गोचर होता है तब नासिक में पूर्णकुंभ का आयोजन होता है। मान्यता यह भी है कि जब सिंह राशि में गुरु और सूर्य हो तब नासिक में गोदावरी नदी के तट पर कुंभ लगता है।
 
3. इतिहास: नासिक कुंभ मेले का पहला रिकॉर्ड 17वीं शताब्दी में दर्ज किया गया था। यहां लगने वाला मेला बहुत ही शानदार और दिव्य रहता है।
 
4. ज्योतिर्लिंग: त्र्यंभकेश्वर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग हैं जहां पर पितृ मुक्ति का कर्म होता है।
 
5. पंचवटी: नासिक में पंचवंटी नामक स्थान पर श्रीराम अपने 14 वर्ष के वननावस के काल के दौरान रुके थे और यहीं गोदावरी के तट पर उन्होंने अपनी कुटिया बनाई थी। नासिक को दंडकारण्य का हिस्सा माना जाता है, जहां भगवान राम अपने वनवास के दौरान रहे थे।
 
6. समाधि: पवित्र नदी गोदावरी यहां ब्रम्हगिरी पहाड़ियों से निकलती है। त्र्यंबकेश्वर में श्री संत निवृत्तिनाथ की समाधि है, जिन्हें नाथ संप्रदाय का संस्थापक माना जाता है।
 
7. गौतम ऋषि: एक कहानी के मुताबिक, जब महर्षि गौतम पर गौ हत्या का झूठा आरोप लगा था, तब उन्होंने भगवान शिव की आराधना की थी। भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि देवी गंगा के स्थान पर गोदावरी नदी यहां नदी के रूप में प्रकट होगी। 
 

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